हिमालय का विकास हिमालय की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप हो
विपिन जोशी , बागेश्वर
जागेश्वर धाम को दारूकवन के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय ग्रंथो में ऐतिहासिक तथ्यो में जागेश्वर धाम का वर्णन मिलता है। ज्योर्तिलिंग के रूप में भी जागेश्वर धाम को जाना जाता है। याने जागेश्वर धाम की महिमा वैश्विक रूप से किसी परिचय की मोहताज नहीं है। 8 मार्च 2024 को शिव रात्रि और अंतर्राष्टीय महिला दिवस एक साथ है यह एक अच्छा संयोग है। लेकिन जागेश्वर धाम के लिए 8 मार्च 2024 क्यों खास हो गया है। इस बात को समझने से पहले उत्तराखण्ड प्रदेश की पर्यावरणीय स्थितियों पर एक नजर डालते हैं। समूचे उत्तराखण्ड को अलग-अलग दौर में सरकारों ने अपने फायदे और अकूत कमीशन और राजस्व के लिए लूटा है। चाहे टिहरी बांध हो या आॅल वेदर रोड। तमाम बड़ी परियोजनाओं के चलते सबसे ज्यादा मार उत्तराखण्ड के पर्यावरण पर पड़ी है। विगत वर्षो में आॅल वेदर रोड के लिए गंगोत्री हाईवे में हजारों देवदार के वृक्षो को काट दिया गया। सड़क निर्माण कार्य के लिए पर्यावरण की बलि क्यों ? यह एक अनुत्तरित सवाल है जिसका आकार प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
हिमालय का विकास हिमालय की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप हो इस बात को कहते हुए पर्यावरणविदों ने उमर निकाल दी नीति नियंताओं ने विकास के नाम पर उत्तराखण्ड में विनाश के कई उदाहरण भी देखे हैं हजारों लोगों को खपना पड़ा है लेकिन नीतियों में सरकार और काॅरपोरेट की मुनाफापरक नीतियों ने उत्तराखण्ड को हैरान, परेशान ही किया है। अब ताजा तरीन उदाहरण जागेश्वर धाम में सामने आया है। जागेश्वर धाम की सुदंरता में चार चाॅद लगाने वाले देवदार के वृक्षो का पर्यावरणीय महत्व होने के साथ धार्मिक और आस्थामयी महत्व भी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवदार के वृक्ष को देव वृक्ष भी कहा गया है। लेकिन अब सड़क विस्तारीकरण के नाम पर विभाग ने कार्यदायी संस्था के साथ मिलकर सैकड़ों देवदार के वृक्षों पर घाव लगाये हैं। अर्थात सड़क के नाम पर बेशकीमती और पवित्र देववृक्ष देवदार को काटा जायेगा। बड़े वृक्षों के साथ देवदार के छोटे वृक्षो को भी चिन्हित किया गया है। प्रशासन के इस कृत्य से क्षेत्र के नागरिक समूह, सामाजिक संगठन, पर्यावरण प्रेमी संस्थाएं लामबद्ध हो चुके हैं। सभी ने सर्वसम्मती से निर्णय लिया है कि वे बड़ी तादात में महाशिव रात्रि के दिन जागेश्वर में एक सभा करेंगे और देववृक्षो को बचाने के लिए देवरार के वृक्षो में रक्षा सूत्र बाधेंगे। पिचको आंदोलन और रक्षा सूत्र आंदोलन की याद दिलाता जागेश्वर का आंदोलन शुरू हो रहा है। शोसल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर लोग जागेश्वर धाम में देवदार के कटने का विरोध भी कर रहे हैं। लेकिन मुख्यधारा मीडिया में चुप्पी है। हालाकी प्रदेश सरकार की ओर से आश्वासन रूपी खबरें भी हल्के रूप में आ रही हैं कि सड़क विस्तारीकरण के लिए देवदार के वृक्षों को नहीं काटा जायेगा। लेकिन ये सब एक बहकावा भी हो सकता है।
मैं व्यक्तिगत रूप से जागेश्वर देवदार रक्षा सूत्र बंधन अभियान का समर्थन करता हॅू और भोलेनाथ से प्रार्थना करता हॅू कि हे प्रभु देव वृक्षो को काटने की योजना बनाने वाले अधिकारियों और जिम्मेदार प्रशासन को सदबुद्धि प्रदान करे। रक्षा सूत्र अभियान के संचालकों ने कहा है देव वृक्षों में घाव लगाने वाले सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को जागेश्वर धाम आकर भोलेनाथ जी से माफी मांगनी होगी। सरकार को त्वरित तौर पर मामले को संज्ञान में लेते हुए देव वृक्षों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।