मसूरी से हनीमून तक, फिर दर्दनाक अंत: लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की कहानी

मसूरी से हनीमून तक, फिर दर्दनाक अंत: लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की कहानी
देश की सुरक्षा में समर्पित एक और जवान आतंकवाद की भेंट चढ़ गया। 16 अप्रैल 2025 को मसूरी में भव्य विवाह समारोह में बंधे लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनकी पत्नी की नई जिंदगी की शुरुआत चंद दिनों में ही मातम में बदल गई। शादी के बाद यूरोप में हनीमून की योजना बन चुकी थी, लेकिन वीजा न मिलने पर उन्होंने जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों का रुख किया। 21 अप्रैल को वे पहलगाम पहुंचे, लेकिन 22 अप्रैल को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कही जाने वाली बैसरन घाटी में आतंकी हमले में उनकी जान चली गई।
इस भयावह हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट संगठन TRF ने ली है। हमले में कुल 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें दो विदेशी और दो स्थानीय नागरिक भी शामिल हैं। हमले में आईबी अधिकारी मनीष रंजन भी शहीद हुए। घाटी की शांति को चीरती गोलियों की आवाज ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
विनय नरवाल की पत्नी, जो इस हमले में किसी चमत्कार से बच गईं, ने कहा, “हम दोनों भेलपुरी खा रहे थे कि तभी एक आतंकी आया और कहा, ‘ये मुस्लिम नहीं है’, फिर गोली चला दी।” विनय को सीने, गले और बांह में गोलियां लगीं और मौके पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी पत्नी अब गहरे सदमे में हैं।
विनय अपने माता-पिता राजेश और आशा नरवाल की इकलौती संतान थे। दादा हवा सिंह, जो पुलिस विभाग से रिटायर्ड हैं, ने नम आंखों से कहा, “वो स्विट्जरलैंड जाना चाहता था, लेकिन वीजा नहीं मिला तो कश्मीर चला गया। अगर उसके पास हथियार होता तो वो आतंकियों को करारा जवाब देता।” करनाल के भुसली गांव और सेक्टर 7 में शोक की लहर है, लोग लगातार परिवार से मिलने पहुंच रहे हैं।
भारतीय नौसेना ने लेफ्टिनेंट विनय की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त किया। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा, “हम इस अपूरणीय क्षति से बेहद दुखी हैं। विनय की बहादुरी और सेवा को देश कभी नहीं भूलेगा।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का अपना दौरा बीच में छोड़ भारत लौटने का निर्णय लिया और कहा, “इस जघन्य हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंच चुके हैं और सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विनय के दादा से वीडियो कॉल पर बात कर सांत्वना दी और परिवार को न्याय दिलाने का वादा किया।
इस हमले ने पूरे देश को आक्रोशित कर दिया है। जम्मू में पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन हुए और पहलगाम में स्थानीय लोगों ने कैंडल मार्च निकाला। विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे घातक माना जा रहा है।
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का बलिदान एक बार फिर याद दिलाता है कि आतंकवाद की आग अब भी शांत नहीं हुई है। उनका नाम और उनकी बहादुरी हमेशा देशवासियों के दिलों में अमर रहेगी।