पूंजीपजियो का कर्जा माफ बनाम एमएसपी : विपिन जोशी
लोक सभा चुनाव से ठीक पहले अमृत काल का ऐसा रूप कल्पना से परे है। आखिर क्या है अमृतकाल ? अच्छे दिनों की व्याख्या के पीछे का सच क्या है ? अर्थव्यवस्था की असल हकीकत क्या है ? रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की क्या स्थिति है ? पर्यावरणीय हालात क्या हैं ? देश की नदियों की स्थिति पर और नमामी गंगे परियोजना पर क्या अपडेट है ? परीक्षा होने से पहले ही पेपर लीक का क्या मसला है ? देश की शिक्षा, स्वास्थ्य और तमाम सरकारी ऐजेंसियों का कारपोरेट घरानों को सौपने के पीछे की क्या कहानी है ? नगर पंचायत से लोक सभा सभा चुनाव तक मैनेजमेण्ट की क्या कहानी है ? चंडीगढ़ मेयर चुनाव का पर्दाफास तो ही गया है अब विगत एक दशक में संपन्न हुए तमाम चुनावों का विश्लेषण बाकी है। आॅपरेशन लोटश के बहाने विपक्ष को खत्म करना और तमाम भ्रष्ट नेताओं को अपने कैम्प में भ्रष्टाचार रहित करने की नीति पर भी जनता की दृष्टि है। लेकिन धार्मिक और जातिगत उन्माद के पीछे का षणयंत्र आम जनता को समझना होगा। किसानों का विरोध कर रहे लोग शायद खुद किसान नहीं हैं वे किसान निधि और फ्री राशन पर गर्व करने वाले लोग हैं लेकिन उनको यह तो सोचना होगा कि घर-घर राशन जो पहॅुच रहा है वह किसानों की मेहनत का नतीजा है। अनाज, दालें, तेल सबका बाजार किसने खड़ा किया ? एमएसपी का समर्थन कौन सी सरकार ने नहीं किया ? सत्ता की हनक लगते ही मौजूदा सरकार ने एमएसपी पर किसानों का भ्रमित किया है। सरकार का अहंकार और तानाशाही नजरियां देश की आर्थिक तरक्की के लिए हानिप्रद है। सिर्फ धार्मिक जयकारे से देश का विकास नहीं होगा, हर धर्म, जाति, वर्ग के नागरिकों के लिए आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा का सवाल भी मुहं बायें खड़ा है। लेकिन सरकार ने काॅरपोरेट घरानों को देश की ऐजेंसियां सौप दी है, शिक्षा हो या स्वास्थ्य या अन्य राजस्व कमाई की संस्थाएं सब जगह काॅरपोरेट घरानों का एकछत्र राज कायम हो रहा है। कुछ काॅरपोरेट घराने शिक्षा में बदलाव के बहाने अपनी दुकान चला रही हैं तो कुछ देश में प्राइवेटाईजेशन कल्चर का विस्तार कर खूब मुनाफा बटोर रही हैं। ऐसे में आम जन के सवाल आज भी हासियें में हैं। अफसोस कि अमृतकाल का नशा नित नित विस्तार ले रहा है जो आने वाले दौर में घातक होगा।
इस बीच देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ अहम फैसले दिये हैं जो जनता के हक में हैं और लोक तंत्र के पक्ष में हैं। इलैक्टोरल बाॅण्ड को असंवैधानिक घोषित करना, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुई धांधली का पर्दाफास करना जैसे फैसले लोकतंत्र और देश की न्यायपालिका में आम जन का भरोसा कायम करते हैं। इसके लिए मुख्य न्यायाधीस साधुवाद के पात्र हैं। अगर देश में सचमुच अमृकाल चल रहा है तो अब तक हिंसा की आग में जलते मनिपुर की सुध माननीय प्रधानमंत्री जी ने क्यों नहीं ली जबकी मनिपुर में तो उन्हीं की सरकार है। अमृतकाल हो और राम राज हो इस पर किसी को क्यो आपत्ती होगी भला ? लेकिन सवाल तो बनता है कि यदि देश की 80 करोड़ आबादी फ्री राशन के लिए दामन फैला रही है तो फिर आपने पिछले कार्यकाल में क्या किया ? मुफ्त राशन और कर्जा माफी तथा एमएसपी की गुहार किसी देश की अमीर जनता करेगी या गरीब होती जनता या बेरोजगारी का सामना करती जनता ?
हजारों किसान आज हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश से दिल्ली आने को आतुर हैं, क्योंकी दिल्ली देश की राजधानी है जहां से उठने वाले आंदोलनात्क स्वर देश के हर हिस्से में मीडिया के माध्यम से पहॅुचते हैं। लेकिन सरकार ऐसा नहीं होने देगी। आगामी लोक सभा चुनाव को ध्यान में रखकर सरकार ने अपने तरीके से धारणाएं गढ़नी शुरू कर दी है, मसलन एमएसपी का फेक डेटा और किसानों के प्रति विपरीत धारणाएं। एक आंकड़े के अनुसार। 17 लाख करोड़ का सच क्या है ? एमएसपी की मांग 60 साल से जारी है। सरकार कहती है कि किसानों को उनकी फसलों पर न्यूनतम दाम मिलने चाहिए वर्ना सरकार अदा करेगी न्यूनतम दाम। विगत छह दशकों से किसानों को उनकी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिला है, तो क्या यह किसान के धोख नहीं है क्या ? आज किसान मजबूती से कहता है कि उसे उसकी फसल का दाम चाहिए दान नहीं। इसलिए किसान कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों की प्रमुख मांग है कि उनको स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार संपूर्ण लागत का डेढ़ गुना दाम चाहिए, सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें तो दरकिनार कर दी उनको भारत रत्न से नवाज तो दिया लेकिन लेकिन स्वामीनाथान जी की सलाह को अनदेखा कर दिया। क्या सरकार सारी फसलें खरीद लेगी ? 17 लाख करोड़ का नुकसान होगा क्या ? देश में किसानो की कुल फसल का दाम है 17 लाख करोड़। सरकार खरीदेगी तो बाजार में बेचेगी भी उसका भी मुनाफा सरकार को होगा। इसलिए इस मुगालते से बचना होगा कि किसानों को एमएसपी की गारंटी देने से देश की अर्थव्यवस्था का नुकसान होगा। बड़े किसानों को फायदा होगा या सभी किसान एमएसपी से लाभान्वित होंगे ? इस आंदांलन के दौरान अब लोग कहने लगे हैं कि पूजिपतियों का कर्जा माफ हो सकता है तो किसानों को एमएसपी क्यों नहीं दी जा सकती ?