कोट भ्रामरी मंदिर में भेटा के ग्रामीणों ने बाधी चीर, होली गीतों से गूंजा मंदिर प्रांगण
कोट भ्रामरी मंदिर में भेटा के ग्रामीणों ने बाधी चीर, होली गीतों से गूंजा मंदिर प्रांगण
Bhagwat Negi, News Garur
गरुड़। कोट भ्रामरी मंदिर में होली से पूर्व की परंपरागत “चीर बंधन” रस्म को भेटा गांव के ग्रामीणों ने पूरे श्रद्धा भाव और उल्लास के साथ संपन्न किया। यह परंपरा सौ से अधिक वर्षों से चली आ रही है, जिसे आज भी ग्रामीणों ने संजोकर रखा है। इस वर्ष डागर नंदा बल्लभ लोहुमी और वशीधर लोहुमी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कोट भ्रामरी मंदिर पहुंचकर चीर बंधन किया। इस आयोजन के दौरान मंदिर परिसर भजन, कीर्तन और होली गीतों से गूंज उठा।
होली गीतों की गूंज से सराबोर हुआ मंदिर
ग्रामीणों ने मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की और फिर होली गीतों के माध्यम से रंगों के इस पर्व की शुरुआत की। “सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन, होली खेले गिरिजापति नंदन” और “आज कन्हैया रंग भरे, रंग की गागर सिर पर धरे” जैसे पारंपरिक होली गीतों पर भक्त झूम उठे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भक्ति रस में डूबकर देवी कोट भ्रामरी माता की आराधना की।
चीर बंधन परंपरा का महत्व
निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य जनार्दन लोहनी ने बताया कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और यह होली महोत्सव की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। चीर बंधन के माध्यम से ग्रामीण आपसी एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं। यह आयोजन मेल-जोल और पारंपरिक संस्कारों के महत्व को दर्शाता है।
सामूहिक उत्साह और भागीदारी
इस चीर बंधन कार्यक्रम में ग्रामीणों की बड़ी भागीदारी देखने को मिली। इस अवसर पर पवन लोहुमी, बसंत लोहुमी, मनोज लोहुमी, विनोद लोहुमी, हेम लोहुमी, दिनेश लोहुमी, दीप लोहुमी, कमलेश लोहुमी, राजेंद्र प्रसाद लोहुमी, हरीश लोहुमी, भास्कर लोहुमी, ललित लोहुमी, मोहन लोहुमी, कौस्तुबानंद लोहुमी, सिप्पी लोहुमी, खजान लोहुमी, सतीश लोहुमी, पंकज लोहुमी और नीरज लोहुमी समेत कई ग्रामीण मौजूद रहे।
ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा आगे भी इसी श्रद्धा और उमंग के साथ जारी रहेगी। चीर बंधन के साथ अब होली उत्सव की तैयारियां तेज हो गई हैं, और जल्द ही पूरे क्षेत्र में रंगों की बयार बहने लगेगी।