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बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर बागेश्वर जिले के सूरजकुंड घाट पर जनेऊ संस्कार का विशेष महत्व है। इस दिन, जिले के विभिन्न क्षेत्रों से लोग अपने बच्चों के उपनयन संस्कार (जनेऊ संस्कार) के लिए यहां एकत्रित होते हैं। सूरजकुंड घाट की धार्मिक मान्यता के कारण, यह स्थान जनेऊ संस्कार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

बसंत पंचमी को शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम दिन माना जाता है, जिसमें विवाह, जनेऊ, कर्णभेदन आदि संस्कार शामिल हैं। इस दिन विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों के जनेऊ संस्कार के लिए सूरजकुंड घाट पर एकत्रित होते हैं। सूरजकुंड घाट के साथ-साथ बागनाथ मंदिर के समीप स्थित सरयू घाट पर भी लोग मुंडन संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

इस वर्ष भी, बसंत पंचमी के अवसर पर सूरजकुंड घाट पर सैकड़ों बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार (जनेऊ संस्कार) संपन्न हुआ। सुबह से ही लोग अपने बच्चों के साथ घाट पर पहुंचने लगे थे, और दोपहर तक यह सिलसिला जारी रहा। बागेश्वर के अलावा, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और अन्य जिलों से भी लोग अपने बच्चों का जनेऊ संस्कार कराने के लिए यहां आए थे।

हालांकि, इस पवित्र स्थल पर सुविधाओं की कमी भी देखने को मिली। घाट पर केवल एकमात्र शौचालय उपलब्ध है, जिसमें गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यह स्थिति श्रद्धालुओं के लिए असुविधाजनक है। नगर पालिका परिषद से आग्रह है कि वे इस शौचालय की नियमित सफाई सुनिश्चित करें, ताकि श्रद्धालुओं को स्वच्छ वातावरण मिल सके।

प्रशासन ने भी यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल की तैनाती की है। सुरक्षा के मद्देनजर, कई सिपाहियों को घाट पर नियुक्त किया गया है, ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके और किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

सूरजकुंड घाट की धार्मिक मान्यता और बसंत पंचमी के शुभ अवसर के कारण, यह स्थान जनेऊ संस्कार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। लोगों की आस्था और विश्वास के चलते, हर वर्ष इस दिन यहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं और अपने बच्चों के संस्कार संपन्न करते हैं।

इस प्रकार, बसंत पंचमी के अवसर पर सूरजकुंड घाट, बागेश्वर में जनेऊ संस्कार की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है।

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