वृक्ष प्रेमी किशन सिंह मलड़ा के सफल प्रयास
कहते हैं जूनून हो तो पहाड़ काट कर सड़क बनाई जा सकती है, हजारों वृक्षों का रोपण किया जा सकता है और प्रक्रति के साथ जीवन जीते हुवे पर्यावरण को सहेजा जा सकता है. कुछ ऐसा ही असाधारण कार्य किया है बागेश्वर निवासी किशन सिंह मलड़ा ने. आपको वृक्ष मित्र की उपाधि भी मिली है. पच्चीस साल पहले किशन सिंह मलड़ा ने बागेश्वर में एक पीपल का वृक्ष लगाया आज वह जगह पीपल चैक नाम से जानी जाती है। तब से किशन सिंह को पर्यावरण से प्रेम हो गया। उनका कहना है कि विलुप्त होने की कगार पर पहॅुच चुकी वृक्ष प्रजातियों को सहेजना उनका लक्ष्य है। पर्यावरण को सहेजने का सीधा तरीका है खूब सारे वृक्षो का रोपण और उनकी सुरक्षा। यूं तो जंगल बनने की अपनी प्राकृतिक विधि होती है लेकिन मानवीय असंवेदनशीलता के चलते हमें खुद वृक्ष लगाने होंगे तभी हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। किशन सिंह मलड़ा ने अपने घर के पास एक वाटिका बनाई है अपनी माता जी के नाम से बनाई देविका लघु वाटिका में आज दर्जनों किस्म की प्रजाती के पौधे और वृक्ष हैं। किशन सिंह नये-नये प्रयोग भी करते हैं, आपने बताया कि चंदन और च्यूरा दो प्रजातियां बागेश्वर के सरयू और गोमती किनारे बसे इलाकों में आसानी से उग सकते हैं। चंदन और च्यूरा दस साल के बाद किसान को अच्छा आर्थिक मुनाफा दे सकता है। देविका लघु वाटिका में बांस, नीबू, ऐवोकार्डा, दर्जनों प्रकार के मेडिसनल प्लांट हैं। किशन सिंह इन पौधों की नर्सरी भी बनाते हैं।
बालिका शिक्षा और बेटी बचाओं मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए किशन सिंह मलड़ा ने अनोखा तरीका अपनाया है। जिस घर में बेटी का जन्म होता है किशन सिंह उस दंपति को चंदन का वृक्ष उपहार में देते हैं। आपकी इस अनूठी पहल की खूब सराहना हो रही है। मलड़ा जी ने बताया कि उन्होने बहुत सारी असाध्य बिमारियों को साधने वाले पौधे भी लगाये हैं। सुगर, उच्च रक्तचाप, हार्ट, संबंधी बिमारी के लिए कुछ पौधे हैं जिनकी पत्तियों का नियमित सेवन कर कई रोगियों को लाभ मिला है। किशन सिंह ने बताया कि उत्तराखण्ड जैव विविधता के लिए जाना जाता है लेकिन कुछ सालों से जंगलों में आग लगने से बहुत नुकसान हुआ है। इस नुकसान की पूर्ति करने के लिए वृक्षा रोपण ही एक मात्र तरीका है।
बागेश्वर और अल्मोड़ा में कई सारे गावों के नाम सीलिंग वृक्ष के नाम पर रखे गए हैं , जैसे टोटा सीलिंग , सीलिंग वाड़ी आदि लेकिन आज सीलिंग का वृक्ष विलुप्ति की कगार पर है .. इसे बचने के लिए एक मुहीम भी चलाई. सीलिंग का वृक्ष गाना होता है, इसकी खुसबू बहुत तेज होती है जल स्रोतों के आसपास सीलिंग का वृक्ष हो तो उस पानी का महत्त्व बढ़ जाता है कई प्रकार की बिमारियों में सीलिंग का वृक्ष लाभकारी होता है.
रिपोर्ट – विपिन जोशी