मणिपुर हिंसा पर केन्द्र का मौन
जब पूरी दुनियां नये साल के जश्न में मशगूल थी उस समय पूर्वोत्तर का एक राज्य मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा था। 3 मई 2023 से जारी मणिपुर हिंसा अब तक नहीं थमी है। हजारों की संख्या में नागरिक पड़ोसी राज्य मिजोरम में शरण लिए हैं। लाशों से अटे-पटे मणिपुर पर केन्द्र सरकार का मौन समझ से परे है। अभी तक मणिपुर कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा से जल रहा था। अब इस हिंसा में एक और समुदाय के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। 30-31 दिसंबर 2023 को मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र मोरे में मणिपुर कमांडोस पर हमला हुआ। 1 जनवरी को इंफाल के पास मणिपुर में रहने वाले मुस्लिम समुदाय मैतेई पंगाल के चार नागरिक मारे गये। इस हिंसा के बाद इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, थोबल, काकचिंग, बिश्नुपुर में में कर्फयू लगा दिया है।
मणिपुर हिंसा का मुख्य कारण है यहां का भूगोल लगभग 80 फीसदी हिस्सा पहाड़ियों से घिरा है और शेष 20 फीसदी हिस्से में घाटी है। मणिपुर मूलतः नागालैण्ड, मिजोरम, असम और म्यांमार की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से घिरा है। घाटी क्षेत्र में मणिपुर के मूल निवासी मैतेई रहते हैं और पहाड़ी इलाके में दो जन जातियां कुकी और जौ रहती है। इन जन जातिय क्षेत्रों को संरक्षित घोषित किया गया है यहां के लैण्ड रेवन्यू के अनुसार कोई भी बाहरी व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता। आबादी के हिसाब से देखें तो मैतेई और अन्य समुदाय 20 फीसदी हिस्से में रहती है इनकी जनसंख्या 60 फसदी है। कुकी 80 फीसदी भूभाग में रहती है इनकी जनसंख्या 30 फीसदी है। यानी मैतेई और अन्य की जनसंख्या अधिक है। यहीं से शुरू होता है भूमि विवाद जिसे सुलझाने में तमाम सरकारें अब तक असफल रही हैं। मैतेई समुदाय का मानना है कि उनकी संख्या ज्यादा है ओर उस अनुपात में उनके पास जमीन नहीं है। बाहरी लोग भी उनकी जमीनों में घर बना कर बस रह हैं। लंबे समय से मैतेई समुदाय अनुसूचित जनजाती में शामिल होने के लिए संघर्षरत हैं, यदि ये अनुसूचित जनजाती में शामिल हो जाते तो भूकानून के अनुसार पहाड़ी क्षेत्र में जमीन ले कर बस सकते थे। इस संघर्ष के चलते मैतेई बहुत समुदाय की कुछ संस्थाओं ने हाईकोर्ट में अपील दर्ज की। 14 अप्रैल 2023 को मणिुपर हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया कि राज्य सरकार मैतेई समुदाय को एसटी में शामिल करने के लिए सर्वे करें। इस आदेश के बाद मणिपुर के हालात तेजी से बदले और केन्द्र सरकार ने इस आदेश की निंदा की मणिपुर के मुख्यमंत्री एम बीरेन्द्र सिंह जो मैतेई समुदाय से हैं ने इस आदेश को अपने समुदाय की जीत के रूप में उजागर किया। कुकी समुदाय ने इस आदेश के बाद खुद को असुरक्षित महसूस किया और सरकार ने कुकी समुदाय को जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों से निकालना शुरू किया और कहा कि ये लोग म्यांमार से आये घुसपैठिये हैं। इसके बाद वीरेन्द्र सिंह सरकार ने मार्च 2023 में त्रिशंकु शांति समझौते से खुद हो हटा लिया इस संधि के अनुसार उग्रवादी सेना और पुलिस आपस में एक दूसरे पर गोली नहीं चला सकते थे। इस निर्णय से कुकि समुदाय और असहज हुआ उनको लगा कि राज्य सरकार और मैतेई समुदाय उनको निशाना बना रही है। इस घटना के बाद मणिपुर हिंसा की चपेट में चला गया। मई 2023 से शुरू हुई हिंसा अब तक जारी है।
कुकि और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा इस कदर बढ़ी कि यहां भयानक हिंसा शुरू हुई इम्फाल में मैतेई समुदाय के लोगों ने पुलिस का शस्त्रागार लूटा हजारों आटोमैटिक हथियार, गोलियां, बुलेट पू्रफ जैकेट इस लूट में शामिल थे। पुलिस पर मैतेई समुदाय को मदद करने के आरोप भी लगे। इस पूरे घटनाक्रम ने मणिपुर को आग और रक्तपात के भयावह मंजर में घकेल दिया। मणिपुर में फिर से उग्रवादी समूह सकी्रय हो गये पहाड़ी और मैदानी की जंग शुरू हो गई। मणिपुर के मैतेई और कुकि लोगों ने अपनी अपनी सीमाएं तय कर ली हैं। दोनों ही ओर से शांति की पहल नहीं की जा रही है। गृह मंत्री का एक दौरा यहां 2023 में हो चुका है लेकिन मणिपुर की जनता ने गृहमंत्री की अपील को ठुकरा दिया। अब सवाल यह उठता है कि केन्द्र सरकार मणिपुर हिंसा में किस प्रकार दखल करती है। क्योंकी मणिपुर में भाजपा की सरकार है, डबल इंजन का कितना लाभ मणिपुर को मिलेगा यह देखना भी दिलचस्प होगा। हिंसा दुनियां के किसी भी हिस्से में हो उसका प्रभाव बहुत बुरा होता है और दशकों तक रहता है। मणिपुर में तुरंत शांति बहाल होनी चाहिए क्योकी हम विश्वगुरू बनने जा रहे हैं। दुनियां की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की राह पर हैं। अयोध्या में श्री राम लला विराजमान होने वाले हैं। देश महोत्सवों और उत्सवों में व्यस्त है सब कितना अच्छा हो रहा है। इस अच्छे होने को और अच्छा किया जा सकता है। जलते मणिुपर को शांत करने और मणिपुर का चहुॅमुखी विकास के लिए सरकार शीघ्र ही कोई ठोस कदम उठायेगी ऐसी उम्मीद नये साल 2024 में की जा सकती है।
Vipin Joshi
Merahaknews Uttrakhand