राष्ट्रीय कला उत्सव में बगेट आर्ट का जलवा
राष्ट्रीय कला उत्सव में बगेट आर्ट का जलवा
जनपद बागेश्वर के दूरस्थ गाॅव सैलानी में कला क्षेत्र में बच्चे नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। विगत नौ साल से राजकीय इण्टर काॅलेज के विद्यार्थी प्रत्येक कला संबंधी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने विद्यालय और क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं। बच्चों को कला क्षेत्र की बारीकियों से रूबरू करा रहे हैं उनके शिक्षक डाॅ हरीश दफौटी। वर्ष 2023 में हालिया आयोजित राष्ट्रीय कला उत्सव में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर जीआई सैलानी के विद्यार्थियों ने साबित किया है कि प्रतिभाएं कहीं भी हो सकती हैं। जरूरी है सीखने, समझने का जुनून। कोई शिक्षक कैसे अपने विद्यार्थियों की प्रतिभा पहचान उनको सीखने मंे मदद कर सकता है इस बात की बानगी है डाॅ. हरीश दफौटी के प्रयास। शिक्षक हरीश दफौटी ने बताया कि सीमित संसाधनों के बावजूद बच्चों ने खूब मेहनत की नये-नये आइडिया पर विचार किया, इंटरनेट और विविध प्रकार के साहित्य का अध्ययन किया, सहभागिता आधारित प्रयास किया और कला क्षेत्र के विविध आयामों पर शोध किया। डाॅं. हरीश दफौटी ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके सेवा क्षेत्र में चीड़ बहुतायत में पाया जाता है। चीड़ की छाल जिसे स्थानीय भाषा में बगेट कहते हैं का उपयोग अब लोग नहीं करते हैं। एक जमाने में लौहार अपने आफर अर्थात औजार बनाने के कारखाने में बगेट का उपयोग करते थे लेकिन कृषि के तौर-तरीके बदले तो लौहारों का काम भी सिमट गया। तो ऐसे में चीड़ की छाल बगेट का उपयोग विविध प्रकार के खिलौने बनाने के लिए हरीश दफौटी ने शुरू किया।
चीड़ की छाल का बुरादा बनाया जाता है और उसका उपयोग खिलौने बनाने में किया जाता है। फोटो फ्रेम हो या किसी मंदिर का माॅडल या कृषि यंत्र बगेट का उपयोग होता है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा मनीषा ने अपने मन की बात कुछ यूं बयां की – मनीषा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करना और विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागियों से मिलना एक सुखद अनुभव रहा। उस पर परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के दौरान प्रधान मंत्री मोदी से मुलाकात मनीषा के लिए यादगार पल बन गया। मनीषा ने बताया कि बेकार पड़े बगेट और चीड के फल को आकर्षक खिलौनों में तब्दील किया जा सकता है। घर में उपयोग किये जाने वाले सजावटी सामान के लिए भी इनका उपयोग किया जा सकता है।
राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके नीतिन ने पुरातन काल से वर्तमान तक खिलौनों की यात्रा थीम पर आरंभिक शोध कार्य किया और बिना प्रकृति को नुकसान पहंुचाये खिलौने बनाने की प्रक्रिया को माॅडल रूप में दिखाया। रस्सी और सूखी लकड़ियों की मदद से सामान ढ़ोने की टोकरी और सजावट का सामान सब एक मजेदार प्रक्रिया का हिस्सा है। बातचीत के दौरान नीतिन ने कला विषय को इंटर मीडिएट कक्षाओं में लागू करने तथा एक आर्ट गैलरी सभागार की मांग भी की। सभी विद्यार्थियों ने इस बात का समर्थन किया कि इंटर काॅलेज में एक व्यवस्थित आर्ट गैलरी होगी तो बच्चों को सीखने-समझने में और कलाकर्तियों को सहेजने में मदद मिलेगी। प्रशासन और संबंधित विभाग को इस पर सोचना चाहिए। राष्ट्रीय कला उत्सव में सम्मानित हो चुके प्रतिभागियों ने अपने मन की बात साझा करते हुए बताया कि उत्तराखण्ड में उनके प्रयासों को सराहा नहीं गया किसी प्रकार की सराहना विभागीय तौर पर उनको नहीं मिली है। अन्य राज्यों के चयनित विद्यार्थियों का उनकेी राज्य सरकारों ने खूब प्रशंसा की। सामान्यतः देखा जाये तो यह कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इस बात के कई निहितार्थ निकाले जा सकते हैं। विपिन जोशी