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बागेश्वर ,

नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में इस बार सियासी पारा काफी गर्म है। नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी और नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष कवि जोशी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरकर चुनाव को रोमांचक बना दिया है। ढोल-नगाड़ों और समर्थकों के हुजूम के साथ कवि जोशी ने अपना नामांकन पत्र भरा, जो अब चर्चा का मुख्य विषय बन गया है।

कांग्रेस को कवि जोशी के फैसले से बड़ा झटका
कवि जोशी ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस ने पहले उन्हें उम्मीदवार बनाया था, लेकिन बाद में धनबल और बाहुबल का इस्तेमाल कर गीता रावल को टिकट दे दिया। इस फैसले से आहत होकर कवि जोशी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका कहना है कि उन्होंने पिछले 19 वर्षों से बागेश्वर की जनता की समस्याओं को उठाने का काम किया है और जनता के साथ उनका मजबूत रिश्ता है।

कवि जोशी के इस फैसले ने कांग्रेस की रणनीति को झटका दिया है। गरुड़ से कांग्रेस युवा मोर्चा के संजय कुमार ने भी पार्टी के खिलाफ बयान देकर कवि जोशी का समर्थन किया है। संजय कुमार और उनके समर्थक अब कवि जोशी के साथ खड़े हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पार्टी इस स्थिति से कैसे निपटती है।

तीन प्रमुख उम्मीदवार, त्रिकोणीय मुकाबला तय
इस बार बागेश्वर नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए तीन प्रमुख उम्मीदवार मैदान में हैं—सुरेश खेतवाल (बीजेपी), गीता रावल (कांग्रेस), और कवि जोशी (निर्दलीय)। कवि जोशी के निर्दलीय रूप में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। पिछले चुनावों में भी ऐसा ही कुछ हुआ था, जब निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश खेतवाल ने बाजी मारी थी।

कवि जोशी का कहना है कि जनता अब राष्ट्रीय पार्टियों के झूठे वादों से तंग आ चुकी है। उनका दावा है कि इस बार बागेश्वर की जनता केवल जननेता को ही नगर पालिका अध्यक्ष पद तक पहुंचाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बड़े दलों का ध्यान जनता की सेवा से अधिक पैसे और पावर पर है।

जनता का समर्थन बनेगा फैसला
कवि जोशी ने नामांकन के बाद जनता से मुलाकात की और अपने अभियान को तेज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह बागेश्वर के हर इलाके में जाकर लोगों से जुड़ेगे और अपनी बात रखेंगे। उनका विश्वास है कि जनता उनकी मेहनत और ईमानदारी को पहचानती है और उन्हें ही अपना नेता चुनेगी।

इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि जनता की उम्मीदें निर्दलीय उम्मीदवारों से बढ़ी हुई हैं। पिछले चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश खेतवाल ने बड़ी पार्टियों को हराकर जीत दर्ज की थी। ऐसे में कवि जोशी के समर्थक भी पूरी उम्मीद कर रहे हैं कि इतिहास एक बार फिर दोहराया जाएगा।

चुनाव में नया मोड़ और बढ़ता रोमांच
कवि जोशी के मैदान में उतरने से चुनाव का रोमांच और बढ़ गया है। ढोल-नगाड़ों और समर्थकों की रैली ने इस बात का संकेत दे दिया है कि वह चुनावी मुकाबले को हल्के में नहीं ले रहे हैं। वहीं, कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी भी अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं।

कौन मारेगा बाजी?
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बागेश्वर की जनता किसे अपना अगला नगर पालिका अध्यक्ष चुनती है। क्या कवि जोशी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इतिहास रचेंगे, या फिर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी पार्टियों की ताकत के सहारे जीत हासिल करेंगे?

चुनाव के नतीजे न केवल बागेश्वर की राजनीति, बल्कि पूरे क्षेत्र की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकते हैं। जनता के इस फैसले का इंतजार सभी को है।

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