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17 छात्राओं ने एक साथ छोड़ा विद्यालय राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रावतसेरा शिक्षिकाओं की भारी कमी

राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रावतसेरा शिक्षिकाओं की भारी कमी से जूझ रहा, 17 छात्राओं ने एक साथ छोड़ा विद्यालय

लोकेशन: कांडा (जनपद बागेश्वर)
रिपोर्ट: मेरा हक मेरा देश न्यूज़

बागेश्वर जनपद के कांडा तहसील अंतर्गत राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रावतसेरा में शिक्षिकाओं की भारी कमी के चलते विद्यालय अस्तित्व संकट से जूझ रहा है। 36 छात्राओं की नामांकित संख्या वाला यह विद्यालय अब बंद होने की कगार पर आ चुका है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि एक साथ 17 छात्राओं ने स्कूल से नाम कटवा लिया है और अन्य विद्यालयों में प्रवेश लेने को विवश हो गई हैं।

विद्यालय में अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत, व्यायाम और हिंदी विषयों के लिए पद सृजित हैं, लेकिन इनमें से अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और हिंदी के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं। इस कारण नियमित पढ़ाई बाधित हो रही थी, जिससे निराश होकर छात्राओं और उनके अभिभावकों ने स्कूल बदलने का निर्णय लिया।

ग्राम रावतसेरा बागेश्वर जिले की सीमा पर स्थित है, जहां पहले से ही शैक्षणिक संसाधनों की कमी रही है। अब छात्राओं को पढ़ाई के लिए 7 से 10 किलोमीटर दूर तक अन्य स्कूलों की यात्रा करनी पड़ेगी। यह न केवल छात्राओं की सुरक्षा और सुविधा को लेकर चिंता का विषय है, बल्कि सरकार के “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों की वास्तविकता पर भी सवाल खड़े करता है।

ग्राम प्रशासक रवि रावत ने कहा —
“सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे तो देती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत में इन नारों की कोई अहमियत नहीं रह गई है। मेरे खुद के दो बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन मजबूरी में मैंने भी उनका टीसी ले लिया है। अब उन्हें रोज़ कई किलोमीटर दूर जाना होगा।”

स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्रीय विधायक द्वारा 15 दिन के भीतर समाधान का आश्वासन दिया गया था, लेकिन समयसीमा समाप्त होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अभिभावकों ने इसे कोरा आश्वासन करार देते हुए गहरा आक्रोश व्यक्त किया।

पूर्व कांग्रेसी विधायक ललित फर्शवाण ने इस विषय पर कहा —
“यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि रावतसेरा जैसे सीमांत गांव की बेटियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है। सरकार को तत्काल शिक्षिकाओं की नियुक्ति करनी चाहिए, अन्यथा यह विद्यालय पूरी तरह बंद हो जाएगा और यह शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा झटका होगा।”

स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि विद्यालय में आवश्यक शिक्षिकाओं की तैनाती शीघ्र की जाए, ताकि छात्राओं को पुनः अपने गांव में ही शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल सके।

“मेरा हक मेरा देश न्यूज़” इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए जिला प्रशासन और सरकार से अपील करता है कि शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकार को संरक्षित रखने के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाए जाएं।


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